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Wednesday, January 14, 2015

संतुलित आहार


मानव जीवन में आहार का बहुत महत्व है। एक स्वस्थ जीवन हेतु संतुलित आहार का अंतर्ग्रहण अत्यंत आवश्यक है। प्रत्येक खाद्य वर्ग से उचित मात्रा में खाद्य पदार्थों को आहार में सम्मिलित कर व्यक्ति अपने आहार को संतुलित बना सकता है। आहार के संतुलित होने के लिये यह आवश्यक है कि उसमें सभी पोषक तत्वों की मात्रा उचित रूप में हो। पोषक तत्वों में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, खनिज लवण, विटामिन तथा जल सम्मिलित हैं। एक स्वस्थ संतुलित आहार में बीमारियों को रोकने, हमें  उत्तम स्वास्थ्य की स्थिति प्राप्त करने तथा हमारे जीवन की गुणवत्ता में वृद्धि करने की शक्ति होती है। 
एक व्यक्ति को आहार में कौन कौन से खाद्य पदार्थ शामिल करने चाहिये इसके लिये आप फूड गाइड पिरामिड का संदर्भ ले सकते हैं। जैसे आप नीचे दिये गये चित्र में देख सकते हैं कि इस पिरामिड में विभिम्न खाद्य पदार्थ दर्शाये गये हैं। इस पिरामिड में जो खाद्य पदर्थ सबसे नीचे दिये गये हैं, वह सर्वाधिक आवश्यक हैं और सबसे लाभकारी भी। 


 अनाज :
इस पिरामिड में सबसे नीचे हैं अनाज। अनाज द्वारा हमें बड़ी मात्रा में कार्बोहाइड्रेट, रेशा, कुछ मात्रा में प्रोटीन, कुछ मात्रा में वसा मिलता है। एक  संतुलित तथा आदर्श आहार में अनाज की मात्रा सबसे ज्यादा होनी चाहिए। ये खाद्य पदार्थ मुख्यत: आहार में ऊर्जा प्रदान करते हैं।

फल एवं सब्जियां :  
अनाज के ऊपर के स्तर में आते हैं फल तथा सब्जियां। ये हमारे आहार में बी समूह के विटामिन, विटामिन सी और ई, बीटा कैरोटिन, रेशा और खनिज लवणों के महत्वपूर्ण स्त्रोत हैं। इनमें ऊर्जा तथा वसा की मात्रा काफी कम  होती है। ये खाद्य पदार्थ संरक्षात्मक खाद्य पदार्थ कहलाते हैं क्योंकि ये हमें रोगों तथा संक्रमणों से सुरक्षा प्रदान करते हैं।

दालें, दूध, दुग्ध पदार्थ तथा मांसाहार :  
फलों एवं सब्जियों के बाद तीसरा स्तर है दालों, तिलहनों, मेवे और मांसाहारी खाद्य पदार्थों का। इस स्तर में दूध तथा दुग्ध पदार्थ भी सम्मिलित हैं। दालों से हमें भरपूर मात्रा में प्रोटीन प्राप्त होता है तथा ये रेशे के भी अच्छे स्रोत हैं। अनाज तथा दालों का मिश्रित सेवन आहार में प्रोटीन की गुणवत्ता  बढ़ाता है। मांसाहारी खाद्य पदार्थों में सभी पोषक तत्व अच्छी मात्रा में होते हैं, अत: इनके सेवन से आहार की गुणवत्ता बेहतर होती है परंतु यह ध्यान देने योग्य बात है कि यह वसा के भी उत्तम स्रोत हैं जिसका अधिक सेवन स्वास्थ्य के लिये हानिकारक है। मछलियों में संतृप्त वसा की मात्रा कम होती है, अत: अन्य मांसाहार खाद्य पदार्थों की अपेक्षा इसका सेवन फायदेमंद होता है। दूध व दुग्ध पदार्थों में कैल्शियम, फॉस्फोरस और विटामिन डी होता है। इस स्तर के खाद्य पदार्थों को निर्माणात्मक खाद्य पदार्थ कहा जाता है क्योंकि यह शरीर की  बढ़त तथा वृद्धि व टूट फूट एवं मरम्मत के लिये आवश्यक हैं।

वसा/तेल तथा चीनी:
फूड पिरामिड में सबसे ऊपर आते हैं वसा तथा चीनी। इन तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे तले हुए खाद्य जैसे पूरी, परांठा, समोसा, पकोड़ा, ब्रेड पकौड़ा, मठरी, भटूरा, नमकीन भुजिया, चीला, डोसा, बेकरी के खाद्य जैसे बिस्कुट, केक, पेस्ट्री, अन्य खाद्य जैसे आलू चिप्स, बर्गर, आइसक्रीम, क्रीम, मलाई वाला दही, खोया मिठाई आदि का सेवन बहुत ही सीमित मात्रा में करना चाहिये। खाने में वनस्पति जगत के तेल जैसे सरसों का तेल, सनफ्लावर ऑइल, कॉर्न (मक्का) ऑइल, जैतून का तेल, सोयाबीन का तेल का इस्तेमाल करना चाहिये। प्राणिज वसा जैसे घी, मक्खन, क्रीम आदि में संतृप्त वसा तथा कॉलेस्ट्राल की मात्रा अधिक होती है जिनका अत्यधिक सेवन स्वास्थ के लिये हानिकारक है। इसके अतिरिक्त खाने में नमक का सेवन भी काफी सीमित मात्रा में करना चाहिये।

इस फूड पिरामिड के आधार पर आप अपने खाने का दैनिक मैन्यू बना सकते हैं। यदि किसी व्यक्ति के शरीर में किसी पोषक तत्व की कमी है तो उस पोषक तत्व की अधिकता वाले खाद्य पदार्थ को आहार में शामिल कर उस पोषक तत्व की कमी को पूरा किया जा सकता है।